अभेद महाभारत चक्रव्यूह -
Mahabharat chakravyuh |
विश्व का सबसे बड़ा युद्ध महाभारत का कुरुक्षेत्र युद्ध, इतिहास में इतना भयंकर युद्ध केवल एक बार ही घटित हुआ था। अनुमान लगाया जाता है कि महाभारत के युद्ध में परमाणू हथियारों का उपयॊग भी किया गया था। ‘चक्र’ यानी ‘पहिया’ और ‘व्यूह’ यानी ‘लोगो का गठन’, पहिए के जैसे घूमता हुआ व्यूह है "चक्रव्यूह"। कुरुक्षेत्र युद्ध का सबसे खतरनाक तंत्र था, यह चक्रव्यूह। वैसे भी आज का आधुनिक युग भी चक्रव्यूह जैसे रण तंत्र से अनजान हैं। चक्रव्यू को बेधना असंभव था, उस काल में केवल सात लोग ही इसे बेधना जानते थे। भगवान कृष्ण के साथ अर्जुन, भीष्म, द्रॊणाचार्य, कर्ण, अश्वत्थाम और प्रद्युम्न ही व्यूह को बेध सकते थे। अभिमन्यु केवल चक्रव्यूह के अंदर प्रवेश करना जानता था, बाहर आना नहीं जानत था।*
चक्रव्यूह में कुल मिलाकर सात परत थी। सबसे अंदर की परत में सबसे वीर सैनिक तैनात रहते थे। यह परत इस प्रकार बनायीं जाती थी, कि बाहर वाली परत के सैनिकों से अंदर वाली परत के सैनिक शारीरिक, मानसिक रूप से बहुत अधिक बलशाली होते थे। सबसे बाहर वाली परत में पैदल सैनिक तैनात होते थे। अंदर की परतो में, शत्र से सुसज्जित हाथियों की सेना होती थी। चक्रव्यूह की संरचना बिल्कुल भूल भुलैय्या के जैसे हॊती थी, जिसमें एक बार अगर कोई शत्रु फंस गया, तो घन-चक्कर बन जाता था।*
Mahabharat chakravyuh |
Mahabharat chakravyuh-
Mahabharat chakravyuh |
चक्रव्यूह को मौत का पहिया भी कहा जाता था, जो की लगातार घूमता रहता था। क्यों कि एक बार जो इसके अंदर गया वह कभी बाहर नहीं आ पाया। यह पृथ्वी की तरह अपनी धुरी पर घूमता था, साथ ही साथ हर परत(लेवल) भी परिक्रमा करती रहती थी। इस कारण, बाहर जाने का रास्ता, हर वक्त अलग दिशा में घूम जाता था, जो शत्रु को पूरा भ्रमित कर देता था। आधुनिक युग भी इतने उलझे हुए और असामान्य रण तंत्र को अपने युद्ध में नहीं अपना सकता है। ज़रा सॊचिये कि हज़ारो वर्ष पूर्व चक्रव्यूह जैसी घातक युद्ध तकनीक या संरचना को बनाने वाले कितने बुद्धिवान रहें होंगे।*
चक्रव्यूह उस तूफ़ान की तरह था, जो अपने मार्ग में आने वाले हर जीवन को तिनके की तरह उड़ाकर नष्ट कर देता था। इस व्यूह को कैसे भेदना है, इसकी जानकारी केवल सात लोगों के ही पास थी। अभिमन्यू, अर्जुन पुत्र, व्यूह के भीतर प्रवेश करना जानता था। लेकिन वह बाहर निकलना नहीं जानता था। इस कारणवश कौरवों ने छलपूर्वक अभिमन्यू की हत्या कर दी थी। यह माना जाता है कि, चक्रव्यूह की संरचना शत्रु को मनोवैज्ञानिक और मानसिक रूप से इतना कमजोर बनाता था कि, एक ही पल में हज़ारों शत्रु सैनिक मारे जाते थे। कृष्ण, अर्जुन, भीष्म, द्रॊणाचार्य, कर्ण, अश्वत्थाम और प्रद्युम्न के अलावा चक्रव्यूह से बाहर निकलने की रणनीति कोई नहीं जनता था।*
Mahabharat chakravyuh |
मध्य प्रदेश में एक स्थान और कर्नाटक के शिवमंदिर में आज भी चक्रव्यू के चित्र बने हुए है, और हिमाचल प्रदेश मे सोलह सींगी नामक जगह पर भी इसके चत्र अंकित है। साथ में ये उन लोगो के मुँह पर तमचा भी है जो समय समय पर इतिहास को चुनौती देते रहते है।
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